Monday 22 October 2012

ज्वार-खेत को खा रहा, पापा नामक कीट-


 पापा=कीड़ा 
उपज घटाता जा रहा, जहर कीट का बीट |
ज्वार-खेत को खा रहा, पापा नामक कीट |
पापा=ज्वार-बाजरा में लगने वाला एक कीड़ा, जो उपज नष्ट कर देता है ।
पापा नामक कीट, कीटनाशक से बचता |
सबसे ज्यादा ढीठ, सदा नंगा ही नचता |
रविकर बड़ा महान, किन्तु मेरा जो पापा |
लेता पुत्र बचाय,  गला बस पुत्री चापा ||
(व्याज-स्तुति )


छडा / छड़ी 
चलो एकला मन्त्र है, शक्तिमान भरपूर |
नवल-मनीषी शुभ-धवल, सक्रिय जन मंजूर |


सक्रिय जन मंजूर, लोक-कल्याण ध्येय है |
पर तनहा मजबूर, जगत में निपट हेय है | 


उत्तम किन्तु विचार, बने इक सुघड़ मेखला |
सबका हो परिवार, चलो मत प्रिये एकला |  

दादुर  
 दद्दा दहलाओ नहीं, दादुर दिल कमजोर |
इक छोटे से कुँवें में, होता रहता बोर |

होता रहता बोर, ताकता बाहर थोड़ा |
सर्प ब्लॉग पर देख, भाग कर छुपे निगोड़ा |

चंचल मन का चोर, कनखियाँ तनिक मारता |

करता किन्तु 'विनाश', खेल तू चला भाड़ता || 

दुखी विज्ञानी  
 विज्ञानी सबसे दुखी, कुढ़ता सारी रात । 
हजम नहीं कर पा रहा, वह उल्लू की बात ।
वह उल्लू की बात, असलियत सब बेपर्दा ।
है उल्लू अलमस्त, दिमागी झाडे गर्दा ।
आनंदित अज्ञान, बहे ज्यों निर्मल पानी ।
बुद्धिमान इंसान, ख़ुशी ढूंढे विज्ञानी ।।

पहली डेट 
जामा पौधा प्यार का, पहला पहला प्यार ।
फूला नहीं समा रहा, तन जामा में यार । 
तन जामा में यार, घटा कैफे में  नामा ।
मुझे पजामा बोल, करे जालिम हंगामा ।
रविकर पहली डेट, बना दी मुझको मामा ।
 करे नया आखेट, भागती खींच पजामा ।।

2 comments:

  1. इस बार भी बढिया कुंडलियां

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  2. sundr kundalion ki mala ,behtarin prastuti

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