Saturday 20 October 2012

खम्भें दरकें तीन, बोझ चौथे पर भारी -




संवाददाता 
खबर खभरना बन्द कर, ना कर खरभर मित्र ।
खरी खरी ख़बरें खुलें, मत कर चित्र-विचित्र ।
मत कर चित्र-विचित्र, समझ ले जिम्मेदारी ।
खम्भें दरकें तीन, बोझ चौथे पर भारी ।
सकारात्मक असर, पड़े दुनिया पर वरना ।
तुझपर सारा दोष,  करे जो खबर खभरना ।।
खबर खभरना  = मिलावटी खबर  


हिन्‍दी चिट्ठाकारी में 'कोयल शास्‍त्र' की कोई जगह क्‍यों नहीं हैं ???

कोयल तो मर्मज्ञ है, सिक्स सेन्स संसेक्स |
ग्राफ सदा स्थिर रखे, खुद भी रहे रिलेक्स |
खुद भी रहे रिलेक्स, शास्त्र पर जायज चर्चा |
लेकिन पुरुष विचार, लगेगा कड़ुआ  मिर्चा |
रविकर यह प्रस्ताव, करे जो सेक्सी-सिम्बल |
बने शास्त्र दमदार, लसे कौवे से कोयल || 

पच्चीसवीं साल-गिरह  
बड़ी दुर्दशा है सखे, लेता लड्डू लील |
बढे पित्त कफ वात सब, तीन बरस गुड फील |
तीन बरस गुड फील, उडाये खिल्ली बेजा |
मांसाहारी चील, खाय उल्लू का भेजा |

बीते बरस पचीस, कसे मजबूत शिकंजा |
कर ले काम खबीस, चील नत मारे पंजा ||

चारु चढ़ावा बोल पर, बक्कुर देता लाभ ।
न हर्रे न फिटकरी, मस्त माल-मधु चाभ ।
मस्त माल-मधु चाभ, वकालत प्रवचन भाषण ।
कोई नहीं *प्रमाथ, धनिक खुद करे समर्पण ।

गुंडे गंडा बाँध, *सांध पर मारे धावा । 
पाले पोषे फ़ौज, चढ़े नित चारु चढ़ावा ।


*बलपूर्वक हरण ।
*लक्ष्य


बड़ा कबाड़ी है खुदा, कितना जमा कबाड़ |
जिसकी कृपा से यहाँ, कचडा ढेर पहाड़  |
कचडा ढेर पहाड़,  नहीं निपटाना चाहे |
खाय खेत को बाड़, बाड़ को बड़ा सराहे |
करता सज्जन मुक्त, कबाड़ी बड़ा अनाड़ी |
दुर्जन रिसाइकिलिंग, कर रहा बड़ा कबाड़ी ||

6 comments:

  1. बेहद सुन्दर ...भाव युक्त...

    ReplyDelete
  2. कुंडलियां बातें करें, खरी-खरी दो टूक,
    कागा का वो कांव हो, या कोयल की कूक।
    या कोयल की कूक, ध्यान आकर्षित करतीं,
    शब्दों मे है जान, नेह न्योछावर करतीं।
    रंग-बिरंगी शीत-तप्त झरतीं फुलझड़ियां,
    मन का रंजन सिद्ध करें रविकर कुंडलियां।





    ReplyDelete
  3. पच्चीसवीं साल-गिरह
    बड़ी दुर्दशा है सखे, लेता लड्डू लील |
    बढे पित्त कफ वात सब, तीन बरस गुड फील |
    तीन बरस गुड फील, उडाये खिल्ली बेजा |
    मांसाहारी चील, खाय उल्लू का भेजा |
    बीते बरस पचीस, कसे मजबूत शिकंजा |
    कर ले काम खबीस, चील नत मारे पंजा ||

    मनाओ सिल्वर जुबली चील की सिलवर जुबली .अरे भाई सिलवर जुबली ,नहीं खा भैया चुगली ..उडेगी एक दिन गिल्ली

    ReplyDelete